"दल-बदलू पल्टूराम"
"दल-बदलू पल्टूराम"
राजनीति में दल-बदलू पल्टूराम
थोक में बिकाऊ मौक़े बैमौके।
सत्ता-लोलुपता इमान डिंगा रहीं।
राजनेता सत्ता मोह में फंसे।
सिद्धांत माननीय मुल्य बैनामी।
भ्रष्ट आचरण गौण सौ गुना माफ़।
भष्टाचार ब्रह्मास्त्र पल्टूराम बैशर्म।
राजनीति में जो जीता वही सिकंदर।
ना नैतिक सिद्धान्त किअहमियत।
ना कोई नैतिक मूल्यों कि चिंता।
पल्टूराम बिकते देखें भरे बाजार में।
खरीददार ठुस नकदी सुटकेस
गिनती नहीं सीधे पकड़ा देते हाथ में।
राजनीति में सब कुछ जायज।
धोखा झूठ चोरी लुट डकैती भरेब।
ऐसे अवगुणी नहीं वो राजनीति में फ़ैल।
मुख में राम बगल में सूरी।
राजनीति में ईश्वर भक्ति का क्या काम।
जिनके मन को भाए वो राजनीति में जाए।
कवि देवा कहें-
श्रीराम भक्त राजनीति को दूर से करें सलाम।
जय श्रीराम वंदेमातरम।