गीता-उपदेश
गीता-उपदेश
हैं माटी कि ये कच्ची काया।
कभी धूप कभी छाय
कभी खुशी कभी ग़म।
मोह पाश में फंस ना पगले,
यह चक्रव्यूह हैं मोह-माया।
चमकाया तन मन ना धोया,
खूब क्रीम पाउडर लगाया।
माया जाल में फसा रहा,
ना कभी तूने हरी गुण गाया।
क्यूँ तूं जान सका ना पगले,
यह नश्वर हैं तेरी स्थूल काया।
ईश्वर साक्षात्कार ना कर
तूने वैहरथ मानुस जन्म गमाया।
लख चौरासी भटकके
तूने जब मानुस तन पाया।
ईश्वर के घर देर हैं
पर अंधेर नहीं।
नेकी कर दरिया में डाल
फल कि इच्छा मत कर।
जैसा कर्म करोंगे
वैसा फल देगा भगवान।
यह हैं गीता का ज्ञान।