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Ishan Ahmad

Abstract

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Ishan Ahmad

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जल ,प्रकृति,पर्यावरण

जल ,प्रकृति,पर्यावरण

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मेरे आँगन का नल 

देते देते पानी,

 लगा है 

हुचक हुचक करने 

और 

जबसे लगा है 

इस पर 

पम्पिंग सेट

तबसे तो और अधिक 

होती है फिज़ूल खर्ची 

अनमोल पानी की 

किसी को धोना हो मुँह 

या 

लेना हो एक गिलास पानी 

तो अब ज़हमत नहीं 

हथकी उठाने की 

नल की ,

बस बटन दबाया 

और 

एक बाल्टी पानी बहाकर

मुँह धो लिया 

एक जग पानी बहाकर

ले लिया 

एक गिलास पानी 

इस संयुक्त परिवार में 

किसी को टोको तो ......

पता है सभी को 

अनमोल है पानी 

पचास रुपये लीटर दूध तो 

बीस रुपये लीटर है पानी 

और 

देना है मरकर 

खुदा को अपने 

हिसाब

फिज़ूलखर्ची का 

पानी की 

फ़िर भी......

मैं सोचता हूँ

देखकर हालत नल की  

गहराई से

जब बड़ाई जाती हर वर्ष 

गहराई नल की 

घटते जल स्तर के कारण

क्या होगा जब 

न मिलेगा रुपयों में भी

 चुल्लू भर पानी ?

 


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