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Babita Kushwaha

Abstract

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Babita Kushwaha

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जल और प्रकृति

जल और प्रकृति

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जल संकट और भूखमरी ने

हमें यह बात सिखाई,

प्रकृति से दोस्ती अब तो कर लो भाई।


बारिश के जल को व्यर्थ न बहने दो

नदी, तालाबों की कर लो खुदाई,

प्रकृति से दोस्ती अब तो कर लो भाई।


वृक्षारोपण से ही जल संकट दूर होगा

पेड़ो की रोको कटाई,

प्रकृति से दोस्ती अब तो कर लो भाई।


सूख गए है खेत खलिहान

चारो तरफ तबाही छाई,

प्रकृति से दोस्ती अब तो कर लो भाई।


बिन पानी न पृथ्वी, न आकाश

विज्ञान ने भी यह बात पढ़ाई,

प्रकृति से दोस्ती अब तो कर लो भाई।


जल ही जीवन है यह बात

तुम्हे अभी तक समझ न आई,

प्रकृति से दोस्ती अब तो कर लो भाई।


अभी भी समय में

समय रहते कर लो चतुराई,

प्रकृति से दोस्ती अब तो कर लो भाई।


बिन पानी सब सून है

कवि रहीम ने भी यह बात बतलाई,

प्रकृति से दोस्ती अब तो कर लो भाई।


भविष्य की पीढ़ी को भी जल देखने दो

अभी से पानी की करो कोताई,

प्रकृति से दोस्ती अब तो कर लो भाई।


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