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Babita Kushwaha

Abstract

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Babita Kushwaha

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जाने कहाँ गया वो दौर

जाने कहाँ गया वो दौर

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जाने कहाँ गया वो दौर,

वो नानी के आंगन का झूला,

दोस्तो के संग हँसी ठिठोला,

वो आमों और अमरूदों का बगीचा,

वो गुड़ियों की शादी, वो परियो के किस्से,

वो माँ की डांट और नानी की गोद,

वो दादी नानी की कहाँनियां

जाने कहाँँ गया वो दौर

अब तो कल की चिंता है और अधूरे सपने हैं,

पीछे लौटना मुमकिन नही, बहुत दूर अपने है,

मंजिलो की तलाश में जाने वो दौर कहाँ छूट गया,

जाने कहाँ गया वो दौर जो बहुत याद आता है।


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