ख़्वाहिशों का सफर
ख़्वाहिशों का सफर
तो क्या हुआ ये साल और गया,
जिंदगी का सफर अभी बाकी है।
क्या हुआ जो सपने अधूरे रह गए,
मंज़िलों की उड़ान अभी बाकी है।
क्या हुआ जो किरणों का उजाला नहीं ,
सितारों की चमचमाहट अभी बाकी है।
क्या हुआ जो अपनों का साथ नहीं ,
सपने पूरे करने का जुनून अभी बाकी है।
मैं फिर कलम उठाऊँगी, मैं फिर लिखूंगी,
सभी के दिलों में अपनी पहचान बनाना बाकी है।
क्योंकि ख्वाहिशों का सफर अभी बाकी है।