JAY BHIMANI
Romance
अपने जख्मों को आज कल खुद ही सीना पड़ता है,
शायद एक तरफा प्यार में ऐसे ही जीना पड़ता है।।
#SeedhiBaat
बापु बलिदानी
ज़िंदगी की बं...
ज़ख्मी शीशा
प्रेरणा स्त्र...
मैं मचलती हूँ सात सुर-सी बजती वीणा-सी, कोई नश्तर नहीं मेरे वज़ूद के आसपास... मैं मचलती हूँ सात सुर-सी बजती वीणा-सी, कोई नश्तर नहीं मेरे वज़ूद के आसपास...
गिनना चाहती हूँ तारों को मैं, चाँद पर बैठना चाहती हूँ, थोड़ी देर... गिनना चाहती हूँ तारों को मैं, चाँद पर बैठना चाहती हूँ, थोड़ी देर...
वो आज भी ख्वाबों में आता है!! जगाकर नींद से, यादों के भँवर में फँसा जाता है वो आज भी ख्वाबों में आता है!! जगाकर नींद से, यादों के भँवर में फँसा जाता ह...
मैंने तुझे चाहा है और सिर्फ तुझे चाहा है यह गांठ अपने दिल में बांध लेना। मैंने तुझे चाहा है और सिर्फ तुझे चाहा है यह गांठ अपने दिल में बांध लेना।
मैं बन जाती थी आसमान, वो तारा बनकर मुझमें बिखर जाता था... मैं बन जाती थी आसमान, वो तारा बनकर मुझमें बिखर जाता था...
मैं तो अब भी वही हूँ कशमकश भरे कदम रखते हुए, हाथों में मेघदूत पकड़े, भारी पलकों को थामे... मैं तो अब भी वही हूँ कशमकश भरे कदम रखते हुए, हाथों में मेघदूत पकड़े, ...
आखिर कौन हो तुम ? आखिर कौन हो तुम ?
तुमको ही सच्चा दोस्त माना ,तुम ही हो जिसे अपना जाना। तुमको ही सच्चा दोस्त माना ,तुम ही हो जिसे अपना जाना।
बस तुम यूं ही आ जाना...। बस तुम यूं ही आ जाना...।
ओढ़ लूं एक कशिश फिर तेरे नाम की तेरी पलको में खुद को उतारूँ ज़रा ... तेरे कदमो में रख कर कदम अपने एक प... ओढ़ लूं एक कशिश फिर तेरे नाम की तेरी पलको में खुद को उतारूँ ज़रा ... तेरे कदमो में...
इत्मिनान इतना कि स्वप्न में थी मैं और तुम अभी चालीसवें में हो। इत्मिनान इतना कि स्वप्न में थी मैं और तुम अभी चालीसवें में हो।
हर रंग हर रूप में मेरी तुम्हीं तुम हो राधा। हर रंग हर रूप में मेरी तुम्हीं तुम हो राधा।
क्या मजबूरी थी तुम्हारी जो इस कदर छोड़कर चले गए, क्या मजबूरी थी तुम्हारी जो इस कदर छोड़कर चले गए,
कुछ तो बोलो, कुछ तो कह दो, क्या इसी को प्यार कहते है। कुछ तो बोलो, कुछ तो कह दो, क्या इसी को प्यार कहते है।
एक कशिश एक एहसास जैसे चाय के बिन ठंड अधूरी वैसे तेरे बिन मैं अधूरी। एक कशिश एक एहसास जैसे चाय के बिन ठंड अधूरी वैसे तेरे बिन मैं अधूरी।
डूब जाऊंगा मस्ती में, जरा सी शाम होने दो। मैं खुद ही टूट जाऊंगा मुझे नाकाम होने दो। डूब जाऊंगा मस्ती में, जरा सी शाम होने दो। मैं खुद ही टूट जाऊंगा मुझे नाकाम हो...
समझ नहीं पा रही मेरा आँचल छोटा है या तुम्हारे एहसान बड़े क्यूँ समेट नहीं पा रही। समझ नहीं पा रही मेरा आँचल छोटा है या तुम्हारे एहसान बड़े क्यूँ समेट न...
अचानक ही तो मिले थे हम दोनों समय और संस्कारों की यात्रा में। अचानक ही तो मिले थे हम दोनों समय और संस्कारों की यात्रा में।
क्यों मन बिंधा सा है तुझसे, खुलती नही तुझसे जुड़ीं गांठे। क्यों मन बिंधा सा है तुझसे, खुलती नही तुझसे जुड़ीं गांठे।
ये बारिश की बूंदें मिट्टी के संग मन भी भिगा जाती हैं। ये बारिश की बूंदें मिट्टी के संग मन भी भिगा जाती हैं।