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Neetu Lahoty

Abstract

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Neetu Lahoty

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जिया जाये

जिया जाये

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क्यों शकों -शुबा में ज़िंदगी 

गुजारी जाये.. 


जो लम्हें मिले है साथ के

उन्हें प्यार से गुजारा जाये 


कभी शिकायत तुझे, मुझसे 

कभी शिकवा मुझे, तुझसे 


इस जद्दो -जहत से निजात पायी जाये.. 

कड़वी यादों को दिल से निकाला जाये.. 


जो पल मिले हैं साथ के 

उन्हें भरपूर जिया जाये। 


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