Anil Yadav
Tragedy Crime
जिस्म-ए-जुनून हर रोज़ उसे खाता रहा,
वो अपनी ताक़त से मुझे आजमाता रहा!
मैंने भी उसे मक़बरे में तड़पता छोड़ दिया,
जो रूह-ए-इश्क़ नहीं जिस्म-ए-भूख मिटाने आता रहा!!
उसे चाहने की ...
किसी को चुना ...
तेरी सूरत है
दीदार-ए-इंतज़...
सुकून
मैं तो एक लफ़...
तुम्हें एक बा...
कभी खोना नहीं...
दिलवाले हो गए
ज़रूरी है क्य...
जो इतु सी प्रेम कहानी शुरू की थी उसे यहीं विराम देते हैं. जो इतु सी प्रेम कहानी शुरू की थी उसे यहीं विराम देते हैं.
कहने को सारा जहाँ है मेरा, पर खुद के घर में मेहमान हूँ। कहने को सारा जहाँ है मेरा, पर खुद के घर में मेहमान हूँ।
'दिनेश' ये तेरी ही मोहब्बत, अब तेरे हवाले हो गए। 'दिनेश' ये तेरी ही मोहब्बत, अब तेरे हवाले हो गए।
एक कदम आगे बढ़ा कर तो देखो, हर जवाब मिलता हैI एक कदम आगे बढ़ा कर तो देखो, हर जवाब मिलता हैI
हसरतों की चाहतों का ना जाने कौन कात़िल हैं ? हसरतों की चाहतों का ना जाने कौन कात़िल हैं ?
ना जाने कब हमारे ज़ख़्म-ए-तमन्ना पुराने हो गए? ना जाने कब हमारे ज़ख़्म-ए-तमन्ना पुराने हो गए?
जब से आया हूँ तेरे जहां में, सिर्फ आंसू ही मैं पी रहा हूँ । जब से आया हूँ तेरे जहां में, सिर्फ आंसू ही मैं पी रहा हूँ ।
कितना भी पढ़ाई कर सर उठा लो लेकिन ससुराल में सर झुकाना चाहिए कितना भी पढ़ाई कर सर उठा लो लेकिन ससुराल में सर झुकाना चाहिए
शहीदों के बलिदान का मजाक तो मत बनाइये। शहीदों के बलिदान का मजाक तो मत बनाइये।
मन के अंधेरे दूर करके,रोशन जीवन को किया। मन के अंधेरे दूर करके,रोशन जीवन को किया।
तय था की होगी, बराबर की हिस्सेदारी। खुशियाँ देकर ग़म रखे, हम बेईमान हुये। तय था की होगी, बराबर की हिस्सेदारी। खुशियाँ देकर ग़म रखे, हम बेईमान हुये।
सुनके जोरू की विनती पसीजा, यार चला आ बनाए टापरी। सुनके जोरू की विनती पसीजा, यार चला आ बनाए टापरी।
आधुनिकता के चक्रव्यूह में हम ऐसे फँसते जा रहे हैं. आधुनिकता के चक्रव्यूह में हम ऐसे फँसते जा रहे हैं.
किसी का शब्दों के खेल से जिंदगी का पूरा मायना ही बदल गया। किसी का शब्दों के खेल से जिंदगी का पूरा मायना ही बदल गया।
आँखें खोलें पता चलेगा कि अब भी हम बर्बाद हैं।। आँखें खोलें पता चलेगा कि अब भी हम बर्बाद हैं।।
में अब एक अरसे से बैठा हूँ रूठ कर यहाँ ना जाने कहाँ चला गया वो मनाने वाला। में अब एक अरसे से बैठा हूँ रूठ कर यहाँ ना जाने कहाँ चला गया वो मनाने वाला।
ए वीर तुझे तेरी मां बुलाए, सोचती होगी तुझे अपने सीने से लगाए। ए वीर तुझे तेरी मां बुलाए, सोचती होगी तुझे अपने सीने से लगाए।
बहुत देखा है अपनों को अजनबी बनते। और अजनबियों से बनते नाता अपना। पर ये जो है ना अपना और ना बेगाना।... बहुत देखा है अपनों को अजनबी बनते। और अजनबियों से बनते नाता अपना। पर ये जो है न...
झूठे विकास नाम पर, बर्बाद किये देते हैं। झूठे विकास नाम पर, बर्बाद किये देते हैं।
आजकल के बच्चे बुरी संगत बनाकर जाने क्यों खुद को बिगाड़ने में जुटे हैं. आजकल के बच्चे बुरी संगत बनाकर जाने क्यों खुद को बिगाड़ने में जुटे हैं.