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ज़िंदगी

ज़िंदगी

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घर से निकलते ही एहसास हुआ

जिंदगी के मायने आसान नहीं

मैं सबमें सब सी ढल गयी

मेरी खुद की कोई पहचान नहीं।


पहली बार दिल ने गुंजाइश की

दायरे लाँघ खुद में झाँकने की

जब देखा तो मुझमे सब मिला

बस मैं ही मुझमें कम थी।


अब कामयाबी के मायने

बदल से गये हैं

अब महलों में वो बात नहीं

बड़ी गाड़ी या नोट आँखें चमका दे

अब उनकी वो औकात नहीं।।


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