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Uma Pathak

Abstract

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Uma Pathak

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जिंदगी

जिंदगी

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जिंदगी पन्नों की तरह है

हर दिन नया अध्याय होता है

कौन जनता जिंदगी में क्या लिखा है

गिर कर उठना जिंदगी है खोकर पाना जिंदगी है

काश कुछ ऐसा हो जाए जो गलत लिखा है जिंदगी में

वह पन्ना फट जाए

अंधेरे में माचिस की तिल्ली से रोशनी होती है

वैसे ही अच्छे दोस्तों की कमी हमेशा होती है


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