Shailaja Bhattad
Abstract
दो पल की इस जिंदगी में,
रहे सदा 36 का आंकड़ा बनकर।
कभी खुद को रुलाकर
कभी दूसरों को सता कर।
खुशियाँ
सुकून
समझ
अमीरी
मजदूर
संवेदनाएं
नारी
होली
नारी के हौंसल...
बदलते मुखौटे न जाने कब अपने और कब पराये हैं। बदलते मुखौटे न जाने कब अपने और कब पराये हैं।
पाते हैं किनारा, मगर कहीं पहुँच नहीं पाते हैं। पाते हैं किनारा, मगर कहीं पहुँच नहीं पाते हैं।
सपने बाकी कोई ना रहे बस उनकी यादें है। जिंदगी में कदम कदम पर मोड़ ही ज्यादे है। सपने बाकी कोई ना रहे बस उनकी यादें है। जिंदगी में कदम कदम पर मोड़ ह...
कौन जानता कौन कब साथ छोड़ दे मीठी यादों का सिलसिला जारी रहे। कौन जानता कौन कब साथ छोड़ दे मीठी यादों का सिलसिला जारी रहे।
कत्ल अहसासों के मेरे, जरा फिर कर दोगे ? कत्ल अहसासों के मेरे, जरा फिर कर दोगे ?
तू मेरी जीवनसंगिनी है मैं ख़ुद से ज्यादा तुमसे प्रेम करता हूँ। तू मेरी जीवनसंगिनी है मैं ख़ुद से ज्यादा तुमसे प्रेम करता हूँ।
एक पगडंडी होगी कई सालों बाद। एक पगडंडी होगी कई सालों बाद।
सदियों से दोहराई गई बातों में कोई बात नई। सदियों से दोहराई गई बातों में कोई बात नई।
चाहे कुछ मिले या न मिले जहाँ में मुझको बस मेरा खुदा मिल जाए। चाहे कुछ मिले या न मिले जहाँ में मुझको बस मेरा खुदा मिल जाए।
मुझे अपना तो, रहने दो। मुझे समझौता ही रहने दो। मुझे अपना तो, रहने दो। मुझे समझौता ही रहने दो।
अब के बच्चे तो सुन ले अब से ये नयी कहानी। अब के बच्चे तो सुन ले अब से ये नयी कहानी।
खोजबीन में लग कर अपनी छान ये मानो सारे दल रहा है। खोजबीन में लग कर अपनी छान ये मानो सारे दल रहा है।
इस प्यारी सी प्रकृति में विलुप्त हो जाना चाहती हूँ। इस प्यारी सी प्रकृति में विलुप्त हो जाना चाहती हूँ।
इंसान कम सुनता है, ज्यादा भड़कता है। इंसान कम सुनता है, ज्यादा भड़कता है।
कोशिशें में द़र-बद़र करता रहूंगा, जब तक है जान लड़ता रहूंगा। कोशिशें में द़र-बद़र करता रहूंगा, जब तक है जान लड़ता रहूंगा।
पाप का एक निवाला भी कौन भला पचा पाया है। पाप का एक निवाला भी कौन भला पचा पाया है।
तू हम सब का अस्तित्व है आत्मा तू ही शुद्ध तू ही परमेश्वर है। तू हम सब का अस्तित्व है आत्मा तू ही शुद्ध तू ही परमेश्वर है।
आ मेरे संग कुछ बातें कर ले बिता ले कुछ कुछ छन। आ मेरे संग कुछ बातें कर ले बिता ले कुछ कुछ छन।
आज बदला जो जमाना, खुद से हारी चिट्ठियां। आज बदला जो जमाना, खुद से हारी चिट्ठियां।
विषम परिस्थितियों में भी, नहीं डगमगाना है, विषम परिस्थितियों में भी, नहीं डगमगाना है,