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Simmi Bubna

Tragedy

5.0  

Simmi Bubna

Tragedy

ज़िन्दगी

ज़िन्दगी

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ज़िन्दगी इतनी मुखालिफत क्यों करती है,

ज़िन्दगी इतनी मुखालिफत क्यों करती है,

क्यों हमेशा ऐसे मोड़ पर ला कर खड़ा कर देती है,

जहाँ से हम अकेले आये हैं

वक़्त वहीं लाकर खड़ा कर देता है।


हक़ीक़त में वहां नहीं होते,

जहाँ से अकेले आए होते हैं,

पर वक़्त हमको लाकर वहीं खड़ा कर देता है।


पता नही ज़िन्दगी इतनी मुखालिफत क्यों करती है,

ज़िन्दगी का भी क्या दोष, हो सकता है कमियाँ हमीं में हो

पता नहीं हर समय अकेले होने का एहसास होता है,

पता नहीं क्यों हर समय अकेलापन काटने को दौड़ता है,

पता नहीं क्यों समय एक जगह लाकर खड़ा कर जाता है।


साँसे भी चाहते नहीं कि वो बन्द हों,

चाहे वो भी न थके पर हम थक गए हैं इस ज़िन्दगी से।

बहुत कुछ इस मुखालिफत ने सिखाया है कि

कौन है अपना कौन पराया।


लोगों के लिए आप सिर्फ काम के वक़्त मायने रखते हो।

ज़िन्दगी हमसे नहीं हमारे काम से,

हमारे गुणों से प्यार करती है

ये ज़िन्दगी भी बहुत मुखालिफत करती है

बिना कहे सब कुछ सिखा जाती है।


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