"जिन्दगी"
"जिन्दगी"
जिन्दगी एक खूबसूरत,
तोहफा है, खुल कर जी।
माना कि इसमें गम बहुत है,
अमृत समझ कर उन्हें भी पी।
मंजिल अभी मिली नहीं,
कैसे चलेगा।
ख्वाब अभी अधूरा है,
तू भटक कैसे गया।
सफर अभी अधूरा है,
तू रूक सा गया।
थका-थका सा लग रहा है,
कैसे चलेगा।
जिंदगी एक उत्सव हैं,
खुलकर मना, खुलकर जी।
राम नाम ही सार है, जगत में,
समय निकल न जायें,
उठ उस को पी।