जिंदगी
जिंदगी
कल शाम बाहर बैठी बगीचे में
देखा गमले में इक नाजुक सा पौधा मुरझाया हुआ
आज दोपहर की तेज धूप में कुम्हला सा गया
देख उसे एक ख्याल दिल में आया
हमे जिंदगी को गमले के पौधे जैसे
नाजुक नहीं बनाना चाहिए
जो जरा सी प्रतिकूल परिस्थिति में मुरझा सा जाए
जिंदगी को बनाना है हमे
जंगल के पेड़ की तरह मजबूत
जो हर परिस्थिति में मस्त झूमता हुआ लहराए