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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

जिंदगी कोई खेल नही

जिंदगी कोई खेल नही

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जिंदगी भी एक अजीब सी पहेली है

साथ रहने वालों से ही हुई ये मैली है

दिल के करीब जिसे मानते है

वो ही सांसो की डोर काटते है

ये जिंदगी बाहरवालो से नही

अपने दिल के टुकड़ो से हुई अकेली है

ये जिंदगी भी एक अजीब सी पहेली है


काम कम करते है लोग, गिनाते ज्यादा है

ये जिंदगी दिखावों से हो गई अकेली है

दर्द को समझते नही लोग

खिल्ली ज़्यादा उड़ाते है

ये जिंदगी बेअकल लोगों से खेली है

जिसे हम राज दे

वो ही दिल के पर्दे फाड दे

बदनसीबी ने जिंदगी को बना लिया

अपनी हवेली है


कोई भी आकर कुछ कह जाता है

अपना दिल शीशे सा तोड़ जाता है

लोगोंने इस जिंदगी को बना दिया

अपनी चेली है

कोई तारीफ करे तू खुश हो जाता है

कोई बुराई करे तू ख़फ़ा हो जाता है

क्या तेरी जिंदगी लोगों की बनेगी रैली है


खुश होना है ख़ुदसे

दर्द लेना है ख़ुदसे

दूसरों से हल नहीं होगी

तेरी जिंदगी की ये पहेली है

अब तो जाग जा साखी,

ये जिंदगी दूसरों की नहीं, तेरी है

मत खेलने दे उनको

ये जिंदगी आंसूओ की नहीं

मुस्कुराहटों की बना तू एक जेली है


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