जिन्दगी के रंग
जिन्दगी के रंग
जिन्दगी को कई रंग बदलते देखा ,
कभी खामोश तो कभी हंसते देखा
हर दर्द को खुशी से पीते देखा
हर गम और मुश्किल से लड़ते देखा
फिर भी जिन्दगी को जीते देखा ।
हर इंसान को बदलते देखा
इंसान को मशीन बनते देखा
अरमानो का दम घुटते देखा
फिर भी जिन्दगी को जीते देखा
उजाले को भी चुभन देते देखा
बादल को काली घटा बनते देखा
अंधेरो से बाते करते देखा
घुटन ही घुटन है दिल मे
फिर भी जिन्दगी को जीते देखा
कसमे वादों का पुल ढहते देखा
विश्वास का कत्ल होते देखा
हर ओर उदासी का आलम देखा
तन्हाई ही तन्हाई हर तरफ
फिर भी जिन्दगी को जीते देखा
गम की आंधियो मे, दिल की
किताब के पन्नो को बिखरते देखा
आंखो मे टूटे सपनो को देखा
अपनो को किनारा करते देखा
फिर भी जिन्दगी को जीते देखा
झूठ को सम्मानित होते देखा
सच को खुदकुशी करते देखा
हालातों से समझौता करते देखा
लफ्जे-मोहब्बत के लिए तरसते देखा
फिर भी जिन्दगी को जीते देखा ।
धैर्य और आत्मविश्वास टूटते देखा
नशे की लत से कर्ज मे डूबते देखा
जानलेवा बीमारी से जूझते देखा
टूटते बिखरते रिश्तो को देखा
फिर भी जिन्दगी को जीते देखा ।
जिन्दगी को कई रंग बदलते देखा
कभी खामोश तो कभी हँसते देखा ।
