जिन गलियों से में गुज़रता था
जिन गलियों से में गुज़रता था
खो चुका था खुद को,
कभी मैं, तुझमे ही ढूंढ़ता था
जिन गलियों से में गुज़रता था अक्सर,
वह तेरी गलियों का पता था।
सुकून दुनिया में कहीं न मिला,
वह तेरे ही आँगन में बसा था
जिन गलियों से में गुज़रता था अक्सर,
वह तेरी गलियों का पता था
न रास्तों की खबर कभी,
एक ज़माने में यूँ ही भटकता था
बस तूम कहीं मिलोगे,
यह दिल को Yakin tha ज़रा सा।
जिन गलियों से में
गुज़रता था अक्सर,
वह तेरी गलियों का पता था।