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Supriya Devkar

Abstract

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Supriya Devkar

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जीवनसाथी

जीवनसाथी

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नहीं है मेरी कोई भी जिद

नहीं है कोई शिकवा तुमसे

दुआ है रबसे बस इतनी 

ना रहे कोई शिकायत हमसे


ओ मेरे जीवनसाथी 

बस यही है केहना

चाहे ना मिले शिश में हल 

सदा हमारे साथ रेहना 


पहना है तेरे नाम का गेहेना 

 जनमभर उसे है निभाना

तुम भी याद रखना सजन

रूठ जाऊँ कभी तो प्यार से मनाना।


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