जीवन प्रवाह
जीवन प्रवाह
सबसे बड़ी
होती है आग ,
और सबसे बड़ा
होता है पानी ,
तुम आग पानी
से बच गए,
तो तुम्हारे काम
की चीज़ है धरती ,
धरती से पहचान
कर लोगे ,
तो हवा भी
मिल सकती है ,
धरती के आंचल
से लिपट लोगे ,
तो रोशनी में
पहचान बन
सकती है ,
तुम चाहो तो
धरती की गोद में ,
पांव फैलाकर
सो भी सकते हो ,
धरती को नाखूनों
से खोदकर ,
अमूल्य रत्नों भी
पा सकते हो ,
या धरती में
खड़े होकर ,
अथाह समुद्र
नाप भी सकते हो ,
तुम मन भर
जी भी सकते हो ,
धरती पकड़े यूं
मर भी सकतेहो ,
कोई फर्क
नहीं पड़ता ,
यदि जीवन
खतम होने लगे ,
असली बात
तो ये है कि ,
धरती पर
जीवन प्रवाह
चलता रहे ,
और वसुधैव
कुटुम्बकम की
भावना अमर रहे,
