STORYMIRROR

Jai Prakash Pandey

Abstract

3  

Jai Prakash Pandey

Abstract

जीवन प्रवाह

जीवन प्रवाह

1 min
285

सबसे बड़ी 

होती है आग ,  

और सबसे बड़ा 

होता है पानी ,

तुम आग पानी

 से बच गए, 

 तो तुम्हारे काम

 की चीज़ है धरती ,

धरती से पहचान

 कर लोगे ,

 तो हवा भी

 मिल सकती है ,

धरती के आंचल 

से लिपट लोगे ,

तो रोशनी में 

पहचान बन

 सकती है ,

तुम चाहो तो 

धरती की गोद में ,

 पांव फैलाकर 

सो भी सकते हो ,

धरती को नाखूनों 

से खोदकर ,

अमूल्य रत्नों भी 

पा सकते हो ,

या धरती में 

खड़े होकर ,

 अथाह समुद्र 

नाप भी सकते हो ,

तुम मन भर

 जी भी सकते हो ,

धरती पकड़े यूं 

मर भी सकतेहो ,

कोई फर्क 

नहीं पड़ता ,

यदि जीवन 

खतम होने लगे ,

असली बात 

तो ये है कि ,

धरती पर 

जीवन प्रवाह 

चलता रहे ,

और वसुधैव 

कुटुम्बकम की 

भावना अमर रहे, 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract