जीवन की सच्चाई
जीवन की सच्चाई
जीवन
चलता
रहता
है
अनवरत
रुकता
नहीं
है
पानी
के
धारा
की
तरह
सागर
के
लहरों
की
तरह
नदी
के
बहाव
की
तरह
हवा
की
तरह
आगे
बढ़ता
है
बिन
मंजिल
के
मृत्यु
के
शिखर
पर
चढ़ते
जाता
है
यह
जीवन
कभी
दौड़ने
लगता
है
तेज
बहुत
तेज
कभी
मंथर
मंथर
रेंगने
लगता
है
और
एक
दिन
स्थिर
हो
जाता
है
हमेशा
हमेशा
के
लिए