जीवन के पथ
जीवन के पथ
जीवन के पथ पर
मुझे कोई सहारा ना मिला
सब छोड़ गये मुझको
साथ देने का कोई इशारा ना मिला
मंज़िल तो तुम ही थी मेरी
फिर क्या करूँ साथ ना दिया कभी
है नतमस्तक नासमझ अनुभूति
नहीं सहारा बस अलौकिक शक्ति ।
क्या कहूँ तुम्हें हे जग की ज्योति
किसी को दे जीवन किरण
किसी को दिल का दर्द देकर चैन की नींद
देकर अदृश्य तारों की तरह हो जाती हो
पर दिल है मानता ही नहीं
कैसें समझाऊँ उसे कब तक
इस नश्वर दुनिया में सच और झूठ का
नवज्योति नवकिरण न बन जाए जब तक !