जीवन जीना क्यों भूल जाए
जीवन जीना क्यों भूल जाए
पन्नों पर से पुरानी लिखावट कैसे हटाएं
स्याही के दाग़ रंगा जीवन को भूल क्यों ना जाए
जो जीवन में मिला, उसको भूल कर
दुख के गीत क्यों गए
हौसला अंदर से उपजता है
तकदीर के खातिर क्यों खाली बैठ जाए
हासिल करने कि ख्वाहिशें बहुत है
उसको हासिल करने में इंसानियत क्यों भूल जाए
सबकी किताबों में अलग अलग किरदार है
अलग अलग रंग, अलग अलग इतिहास है
एक के उज्ज्वल वर्तमान को देख के
अपने भविष्य को उज्ज्वल करने का
लक्ष्य क्यों भूल जाए
कभी दिन अच्छा ना जाए, या मन में कुछ ख्याल आए
कुछ ना करने का बहाना, दिमाग़ में बार-बार आए
अपने लक्ष्यों में हार का डर आपको सताए
लड़ लेना अपने दिमाग से,
जो आपके उज्ज्वल भविष्य के लिए बाधा बन जाए
लिखना आसान है , करना कठिन
पर इसके कारण अच्छा लिखना और करना क्यों भूल जाए
तरक्की का मुझे नहीं मालूम, किसी को भी मिलेंगी की नहीं
परन्तु भाग्य के भरोसे, सफल होने का प्रयास करना क्यों भूल जाए
जब इंसान पैदा हुए है, इंसान होने का मूल धर्म क्यों भूल जाए
परिस्थितियों में ढालना, और अनेकों बाधाओं से विजय होना,
सिखाया है इतिहास ने
फिर इस अमूल्य जीवन में, कुछ परेशानियों की वजह से,
जीना क्यों भूल जाए