जीवन है पानी का बुलबुला
जीवन है पानी का बुलबुला
संसार की मोह-माया देखकर,
तूं रंग बदलता रहता है,
इन्सानियत को भूलकर,
तूं हैवान बनकर घूमता है,
जीवन है पानी का बुलबुला,
ये कयूँ तूं भूल जाता है?
देखा देखी के खेल में तू,
वैभव विलास में डुबा रहता है,
सात दिन की जिंदगी में,
तेरा अंत एक दिन हो शकता है,
जीवन है पानी का बुलबुला,
ये हमेशा तुझे समज़ना है।
लख चौरासी जनम लेकर तू,
ईस दुनिया में आया है,
मिट्टी का तूं खिलोना है,
तुझे मिट्टी में ही मिल जाना है,
जीवन है पानी का बुलबुला,
ये कयूँ तूं भूल जाता है?
"मुरली" तन मन पवित्र कर मनवा,
सत्कर्म तुझे करना है,
खाली हाथ तूं आया है और,
खाली हाथ ही तुझे जाना है,
जीवन है पानी का बुलबुला,
तुझे भवसागर पार करना है।
