STORYMIRROR

Anurag Negi

Inspirational

2  

Anurag Negi

Inspirational

जीत कर आऊँगा

जीत कर आऊँगा

1 min
321


जीत कर आऊँगा, कुछ कर दिखाऊँगा,

माँ की पीड़ा को व्यर्थ नहीं चढाऊँगा,

आँधियों में चिराग, अँधियारों में दीये जलाऊँगा,

जीत कर आऊँगा, कुछ कर दिखाऊँगा।

 

सपना जन्मा और डर गया,

तितली की पंखुड़ियों में जैसे पानी पड़ गया,

टूटी माला के मोतियों को सजाऊँगा,

बीच बाज़ार ईनाम कर जाऊँगा,

जीत कर आऊँगा, कुछ कर दिखाऊँगा। 


अपनों का प्यार मिला, जीने की उम्मीद बढ़ी,

राह कौन सी चुनूं, उम्मीद किसकी बनूँ,

किसी टूटी माला का धागा बन जाऊँगा,

जीत कर आऊँगा, कुछ कर दिखाऊँगा। 


कुछ पल बाकी हैं प्रकृति की गोद में,

मुलायम कली जैसे मधु ऋतु कि ओस में,

फूल बन क़े खिल-खिलाऊँगा,

सबका मन मोहित कर जाऊँगा,

जीत कर आऊँगा, कुछ कर दिखाऊँगा। 


पाप के घड़े से डरूँ या पुण्य का शहद पीयूं,

समय के काँटे से आसमा को सीयूं,

सूरज की किरणों की क़मर बन जाऊँगा,

नाम कर जाऊँगा,

जीत कर आऊँगा, कुछ कर दिखाऊँगा

 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational