झोपड़ी के लोग
झोपड़ी के लोग
झोपड़ी में रहने वाले लोगों का
संसार अलग होता है
ख्वाबों में महल और
ख्वाबो में जन्नत होता है।
इनका हाल दूसरा क्या जाने
सिवा झोपड़ी वालों को छोड़कर
झोपड़ी में भले धन नहीं होता है
लेकिन, दुनिया को जिसकी
जरूरत है, वो सुख उसमें होता है।
झोपड़ी में एकता, प्रेम बसता है
ईर्ष्या, लालच बाहर खड़ा रहता है
झुग्गियों-झोपड़ियों से हमारी
गाँवों का निर्माण होता है।
तभी तो भारत
गाँवों का देश
कहलाता है।
