जगतपालक
जगतपालक
वो जगत पालक हमारा पिता
हम सब उसकी संतान।
वो पीता सारा जहर हमे बचाने को
हम उसकी छाया में हुए जवान।
ताकत पाते ही फिर क्यों
उसे बिसराए जाते हैं?
उस भोले शंकर को सिर्फ
जरूरत पड़ने पर ही याद करते हैं।
वो है कण कण में,हमारे मन में
उससे जुदा हमारा अस्तित्व नहीं।
चाहे पिता कहो या भोले बाबा
उससे बढ़कर कोई सखा,सहारा,मित्र नहीं।