जब उसे पहली बार देखा, तो कुछ ऐसा लगा ...
जब उसे पहली बार देखा, तो कुछ ऐसा लगा ...
जिसे जिंदगी तलाश रही थी,
इस आसमान वो कहीं थी,
ब्रह्मांड अनेक तारों में कहीं तो छुपी थी,
सदियों से जो तरसे हैं तेरे साथ के लिए,
दुय्याएं रखी हैं इसी बात के लिए
तू थी मेरी रज्जा,अब दुय्या बन गई
वो थी मेरी ख्यायिश, अब अधूरी आस बन कर रह गई,
बारिश में हम भीगे जो बैठे, तेरी यादों में गम से गए हम,
ये बारिश की बूंदे लगें जैसे रूकेगी ही नहीं,
जैसे दिल के समुन्दर में कुछ अपनापन सा दे गई
बातें तेरी करते हुए, थक के सो जाता हूं तेरे सिरहाने,
आगर तुझे भी नींद आए,
तो आंख बंद कर, तू भी सोजा मेरे किनारे|
याद आयी मुझे एक दूजे की कहानियां
ज़माने ने सुनी नहीं तेरी-मेरी दास्तानिया
बन कर रह गए पूनिंदे पे वो अल्फाज मेरे,
ठहर गया ये मौसम और ये दिल मेरा,
समय ज़रा थम सा गया है,
मेरा तेरी दिल की गलियां में आना रुक सा गया है|

