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अच्युतं केशवं

Abstract

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अच्युतं केशवं

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जब तक मीठा इसे मैं कर नहीं देती

जब तक मीठा इसे मैं कर नहीं देती

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कहा हमने नदी से क्यूँ, ठहर पल भर नहीं लेती

विसर्जन की जगह सिरजन, लहर में भर नहीं लेती।


ये खारी सिन्धु है,कब तक मिटेगी जिन्दगी मीठी,

वो बोली जब तलक मीठा इसे मैं कर नहीं देती।


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