जब साथ निभाए।
जब साथ निभाए।
तन्हाई जब साथ निभाए,
वो शादी-शुदा नारी आई।
ख़्वाब की परी हमारी वो,
पहली मुलाकात में उनसे।
मोहब्बत प्यार हो गया था,
तब दोनों नहीं हम जानते।
दोनों ही तो शादी-शुदा थे,
जब तक जाना हमने सच।
प्यार बहुत ज़्यादा ही हुआ,
वो बढ़ी और हम पीछे हुए।
समाज के रीति रिवाजों से,
उन्हें भी बचाना ज़रूरी था।
