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Dr Baman Chandra Dixit

Abstract

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Dr Baman Chandra Dixit

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जैसे जिसे जहाँ

जैसे जिसे जहाँ

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जैसे जिसे जहाँ जिधर जब भी देखो

इधर देखो चाहे उधर कब भी देखो।।


खूबियों को देखो तो भर नज़र देखो

खामियों को कर नज़रअंदाज़ देखो।।


झुक जाने से अगर रुक जाते फसाद

तनिक ठहरो और सोच कर देखो।।


अगर सान पे आये कभी कोई बात

टूट जाने से जाओ मगर मत झुको।।


ऐसी आवाज बनो जो जग को जगा सके

लाशों का ढेर पड़ा है,जान फूँकके देखो।।


कंधा देनेके लिए चार मिल जाते हैं यहां 

मगर किसी कंधे से कंधा मिलाकर देखो।।


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