जातिवाद
जातिवाद
आखिर क्या है ये जातिवाद ?
एक होकर भी आपस में बट जाना है ये जातिवाद
इंसानों को उच्च नीच के दर्जे से तोलने वाला
काटा है ये जातिवाद
अरे सभ्यता और संस्कृति की बाते करने वाले
समाज पर धबा है ये जातिवाद
जातिवाद समाज के एकता की एक ऐसी हार
जिसके होने का नहीं है कोई आधार
फिर भी जाने क्यों इससे लोगोमे भेद हुए अपार?
अतरंगी समाज के तर्क समझ से परे
इंसान ही इंसान है भरे फिर क्यो उच्च
नीच की मोहर इनपर लगाए ?
अलग अलग संस्कृति से सजे देश की कमजोर है एक कड़ी
विशेषता जो इस देश की वही कमजोरी है बनी
बात पैसों की हो तो जात पात कोई न देखे
बात रिश्तों की हो तो जात पात के नाम पर हर कोई ठुकराए
आजाद देश का आजाद नागरिक आज भी आजाद नहीं है
प्रथा ये जात पात की जंजीरों से वो जकड़ा है
ऐसी आजादी का भी क्या मोल
जहा हर किसी का जात पात से हो रहा तोल
समाज हमारा ये कैसा है, जहा शिक्षा को छोड़
जातिवाद को ये प्रथमिकता ये देता है
नियम देख इस समाज के प्रश्न से उठे मन में
ये जाती का बंधन बनाया किसने ?
इंसान तो सब समान है
इनमें उच्च नीच करने का हक दिया है क्या भगवान ने ?
पाठशाला मे पढ़ाया पाठ भाईचारे का
पर अपने ही पढ़ाए पाठ का रखे नहीं मान
ये समाज का ज्ञान किस काम का ?
ऐसे ही लाखों सवाल उभरे हैं मन में पता है
नहीं मिलेंगे इसके जवाब इस समाज में
इस समाज की समझ मेरी समझ से बाहर है
सर्व धर्म समभाव की राह अब सबको दिखानी है
आने वाली पीढ़ी को सुशिक्षित समाज देना है
जातिवाद का भेद इस समाज के जड़ से उखाड़ना है।