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Komal Mondhe

Others

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Komal Mondhe

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परिवार / समाज की स्वीकृति

परिवार / समाज की स्वीकृति

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पवित्र से प्यार को विवाह के 

पवित्र रिश्ते में जोड़ लिया

पर समाज ने इस विवाह को 

कभी सही मोल ना दिया

ठुकराया समाज परिवार ने इन्हे ऐसे

जैसे दोनों ने प्यार करके गुन्हा बड़ा किया

जिंदगी आपकी तो फैसले भी आपके है

मामूली नही ये पवित्र रिश्ता है विवाह का

इसका चुनाव किसी और को नही आप ही को करना है

प्यार सच्चा हो तो ये उम्र भर साथ निभाता है

पर समाज इसमें उच नीच जात धर्म को देखता है

दो दिलो के प्यारे रिश्ते की गहराई 

ये समाज समझ ही नही पाता है

उच नीच जात धर्म का ये समाज

अपना सच्चा और पहला धर्म मानवता भूल जाता है

प्यार के रिश्ते को अनजान अजनबी कहके 

परिवार समाज ठुकरा देता है

पर यही समाज दो एकदूसरे से अनजान अजनबीयो 

को एक उम्र भर के रिश्ते में जोड़ देता है

यहां अपने ही अपनो के दिल तोड़ देते हैं

विवाह जैसे पवित्र रिश्ते को खेल बनाकर रख देते हैं।



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