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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

जागना

जागना

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अब अंधेरी रातों को जागना है

फ़ालतू में समय नहीं बांटना है

बहुत सो लिया, बहुत रो लिया,

अब बस ख़ुद को ही डाँटना है


अपना लक्ष्य जो बनाया है तूने,

उसके लिये नींद को त्यागना है

सफलता यूँ ही नहीं मिल जाती है,

पत्थरों से अब मोती तलाशना है


कुछ पाने के लिये दोस्तों

कुछ तो खोना पड़ता है,

अब आलस्य को मन से

तोड़ना है


अब तो साखी जाग हो गई है

सवेरे की शुरुआत हो गई है

अब इस घड़ी के कांटे को,

अपने क़दमों से नापना है



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