इश्क
इश्क
जानते हो इश्क़ क्या है,
इश्क़ पानी है, दरारों से भी रिस आता है
इश्क़ पीपल है, कही भी उग आता है
इश्क़ चाँद है, पूरा हो या अधूरा, खूबसूरत ही होता है,
इश्क़ दुशाला है, गर्माहट देता है,
इश्क़ मय है, जिसकी तलब उठती है,
इश्क़ समुंदर है, जिसमें हजारो मोती छिपे होते हैं
इश्क़ दरिया है, जो बहना जानता है
इश्क़ रूह है, जो बदन को ओढ़ता है
इश्क़ ज़ाफ़रान है, जो महकता है
इश्क़ तेरी ग़ज़ल है, जिसमें मेरा होना होता है,
इश्क़ मेरी नज़्म है, जिसका मौजुद तू होता है
इश्क़ आईना है, जिसमें मुझे मेरे अक्स दिखता है
इश्क़ शीशा है, जो छन्न से चूर चूर भी हो जाता है,
इश्क़ बरगद है, जो फैल जाए तो दूर तक जाता है
इश्क़ आसमान है, जो अनन्त तक फैला है
इश्क़ ज़मीन है, जिस पर ये जहान टिका है
इश्क़ मासूम बच्चा है, जिसमें छल नही होता
इश्क़ इबादत है, जिसमें शक नही होता
इश्क़ बेमोल है, जिसकी कोई कीमत नही होती
इश्क़ बंधन है जिसमें कोई जंज़ीर नही होती
इश्क़ हद में रहकर भी बेहद होता है
इश्क़ बस होता है ,होता है और बस होता है।