इश्क
इश्क
लिखना बहुत था तेरे बारे में
अफसोस है लिख न पाया,
चांद निकला था उस रोज
मगर दिख न पाया,
तेरे चेहरे में कोई तो जादू है
देखा तो सभी ने,
कोई सीख न पाया,
तेरी याद तो आई बहुत तन्हा रातों में
रोया बहुत मैं,
मगर चीख न पाया।

