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Garima Kanskar

Abstract

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Garima Kanskar

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इश्क का रंग

इश्क का रंग

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जब कोई इश्क के

रंग में रंग जाता है

तो कितना कुछ अधूरा

रह जाता है


पर कभी नजर

ही नही आता है

इश्क का रंग

सिर चढ़ कर

बोल रहा होता है


जब इश्क का रंग

उतरता है

तो पता चलता है

क्या क्या अधूरा


छोड़कर हम

आगे निकल गये

पर कुछ कभी

सोचा नहीं


कि क्या क्या

गलत किया हमने

इश्क के रंग में

रंग के।


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