इश्क़ और समाज
इश्क़ और समाज
इश्क की न इंतहा कीजिए
कम से कम कुछ कहा कीजिए
बेबसी से सबको लीजिए
शांत दिल से रहा कीजिए
मामले दिल के हल्के नहीं
थोड़े तो मशवरा लीजिए
शाम रंगीन सी लग रही
रात भी अब जवां कीजिए
दिल सदा से तुम्हारा रहा
कुछ तो दिल की बयां कीजिए
बेअसर हो रही सब दुआ
आप ही कुछ दुआ कीजिए
भूल जाने की जिद छोड़िए
याद हर पल किया कीजिए
आग को ना हवा दीजिए
बस जरा मुस्कुरा दीजिए
शर्त मेरी भी बस एक है
मेरे दिल में रहा कीजिए
लोग करते हैं कब कुछ नया
आप तो कुछ नया कीजिए
इस कदर फासले बढ़ रहे
खिल्वतों में मिला कीजिए