नारी का सदा सम्मान रहे
नारी का सदा सम्मान रहे
वनिता श्रद्धा का विशद रुप,
सत्संग सुधा सा तत्व ज्ञान।
माधुर्य, ओज, प्रांजलता सी
भावुक ममता रस भरी खान।
सुंदरता की अंकित छाया,
दिव्य प्रेम उत्कर्ष शिखर।
अनन्य भाव की उपज भूमि,
व्यंजना चित्त का बिंदु प्रखर।
यह आदि शक्ति अनंत रूप,
अनुपम अमिय सा गुण विशेष।
पूजते सदा मिल जाएंगे,
ब्रह्मा विष्णु और खुद महेश।
यह कथन अटल तन्मयता से,
विस्मृत ना हो, यह भान रहे।
पावन मन की निर्मलता से,
नारी का सदा सम्मान रहे।