तू ही रंभा तू ही अंबा, जगदम्बा हर वनिता है। तू ही रंभा तू ही अंबा, जगदम्बा हर वनिता है।
वनिता श्रद्धा का विशद रुप, सत्संग सुधा सा तत्व ज्ञान। वनिता श्रद्धा का विशद रुप, सत्संग सुधा सा तत्व ज्ञान।