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Ramesh Mendiratta

Abstract

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Ramesh Mendiratta

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इस ट्रेन का इंजिन ही नहीं है

इस ट्रेन का इंजिन ही नहीं है

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किसी न किसी स्टेशन पर उतर गए होंगे

किसी मुसाफिर का कुछ पता नहीं है

कहाँ जा रही यह ट्रेन कुछ पता नही

किस किस को कहाँ पहॅुचाएगी और क्यो

यह भी तो हमे आपको पता नहीं है

भौतिकता ही सब कुछ है मान लिया सबने

किसी और आयाम की कौन सुने पता ही नहीं है

खाइये नाश्ता खाना डिनर आप पी लीजिये

कुछ जाम के साथ पी जाएं यह पृथ्वी आप आज

पर्यावरण की कौन कहे क्यों कहे पता नही

बस आज की सोचिये कल हो न हो पता ही नही है

पानी बिजली ऑक्सीजन कब तक की है पता नहीं

आज तो ऐश मनाईये कब तक है यह पता नहीं है

किसी माल मे मनाईये अपनी शाम आज तक

कब कौन कहाँ उठ जाए कुछ किसी को पता नही है।


   


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