इंतकाम
इंतकाम
शोले को शबनम कर दूंगा
मैं अपना इंतकाम लूंगा,
ख़ूब खून बहाया है,
ज़माने तूने मेरा,
अब अपने खून की एक बूंद से,
सारा दरिया खाली कर दूंगा,
मैं अपना इंतकाम लूंगा।
बहुत सताया है
बहुत रुलाया है
अब एक-एक आंसू को
सुनामी कर दूंगा,
अब तड़पना नहीं है
अब झगड़ना नहीं है
अब अपनी नज़रो से ही,
अग्निवर्षा कर दूँगा,
मैं अपना इंतकाम लूंगा।
ये बात सदा जेहन में रखूँगा
जिसने भी तोड़ा सत्यव्रत मेरा,
उसको तो में,ज़मीन में
ज़िंदा ही दफन कर दूंगा,
मैं अपना इंतकाम लूंगा।
