STORYMIRROR

aazam nayyar

Abstract

3  

aazam nayyar

Abstract

इंतिजार है तेरा

इंतिजार है तेरा

1 min
352

अब नहीं तेरा उसको ही इंतिजार है

तू भुला दे उसे दिल से अब यार है


शहर जाकर करे क्या उसके अब मगर

अब रहा उसको तुझसे नहीं प्यार है


वो नज़र मिलता है प्यार की और कहीं

देखले वो नहीं तेरा दिलदार है


भूल जा तू वादे प्यार के अब सभी

कर गया वो पराया तेरा प्यार है


भूल जा तू उसे उम्रभर के लिए

और कहीं तेरा दिलदार बेक़रार है


फूल जिसको दिया प्यार का आज़म नें

कर गया वो नफ़रत के बहुत वार है.

आज़म नैय्यर उत्तर प्रदेश



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract