इंसानियत
इंसानियत
गरीबी को कागज पर उतारकर,
अमीर बन जाते हैं लोग,
ये कैसा मुल्क है, जहां दर्द नहीं,
दर्द की तस्वीर खरीद लेते हैं लोग।
मेरे लफ्ज़ हमेशा मेरी ही कहानी कहें,
ज़रूरी तो नहीं, कुछ दर्द औरों की,
आँखों में भी देखें हैं कभी कभी,
उस नज़र को मत देखो यारो,
जो आपको देखने से इनकार करती है,
दुनियां की भीड़ में उस नज़र को देखो,
जो टकटकी लगाये सिर्फ आपका इंतजार करती है।
सब कहते हैं कि इन्सान में ख़ुदा होता है,
किससे पूछूँ कि ये इन्सान कहाँ होता है?
अपना मजहब ऊँचा और गैरो का ओछा,
ये सोच हमें इन्सान बनने नहीं देती।
दोस्त मेरी नजर में इंसान वही जो,
दूसरे इंसान की जरुरत के वक्त काम आये,
जो धर्म,जाति,मजहब,जाँत पाँत से उठकर,
भलाई, और मानवता के कार्य करे।
