STORYMIRROR

Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract

4.6  

Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract

इन्सान की पहचान

इन्सान की पहचान

1 min
57


दुनिया में हम सबको रखना है ध्यान,

कभी करना नहीं है हमको अभिमान।

लेकिन खोना नहीं अपना स्वाभिमान,

इंसानियत ही है इन्सान की पहचान।


चिरकाल से मनीषियों ने दी है ये शिक्षा,

लेता है समय क्षण - क्षण सबकी परीक्षा।

प्रतिकूल समय में कभी न होना हैरान,

इंसानियत ही है इन्सान की पहचान।


जग में चाहता है हर कोई ही सदा सम्मान,

काटोगे वही जो बोया हमें है रखना ये ध्यान।

आचरण ही बनाता किसी को देवता या शैतान,

इंसानियत ही है इन्सान की पहचान।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract