धोखा...
धोखा...
जिंदगी ने इतने धोखे दिए हैं
की यकीन करने में डर लगता है
दिल बहुत कमज़ोर है हमारा
ये कहीं फिर से टूट न जाए
ये दुनियां अपना बना के दगा देती है
कहीं फिर से भरोसा टूट न जाए
हमने रस्में उल्फत में सभी से
वफ़ा की सिला बेवफाई
कहीं फिर से मेरे नसीब में न आए
बड़ी मुश्किल से समेटा है
हमने खुद को कहीं एक बार फिर हम
शीशे की तरह टूट के बिखर न जाए...