Saurabh Mishra
Tragedy
क्या करूँ तेरा ख्याल भी नहीं कर सकता मैं
वरना उस आँख में मेरे लिए क्या कुछ न था।
ये भी सच है कि उसने कभी कुछ कहा नहीं
ये भी सच है कि उससे कुछ छुपा न था।
राज
इज़हार
आइए! फिर इस बार भी श्राद्ध दिवस की दिखावटी ही सही औपचारिकता निभाते हैं. आइए! फिर इस बार भी श्राद्ध दिवस की दिखावटी ही सही औपचारिकता निभाते हैं.
जहाँ आबरू सरे आम लूटी जाती है, ज़िंदा लाश बनी लड़कियाँ , घोंटी जाती है। जहाँ आबरू सरे आम लूटी जाती है, ज़िंदा लाश बनी लड़कियाँ , घोंटी जाती है।
पर मोहब्बत ने उम्मीद ना खोयी आज भी माँग राजा को दुआ में रानी रोयी आज भी। पर मोहब्बत ने उम्मीद ना खोयी आज भी माँग राजा को दुआ में रानी रोयी आज भी।
आओ सुनो तुम मेरी ज़ुबानी, मेरी ही ये दास्तां मुझसे ही तुम आये हो, पहले हूँ मैं तुम्हारी आओ सुनो तुम मेरी ज़ुबानी, मेरी ही ये दास्तां मुझसे ही तुम आये हो, पहले हूँ मैं...
बहुत समझाने की हमने कोशिश की,मग़र वो न समझे। बहुत समझाने की हमने कोशिश की,मग़र वो न समझे।
खांसने पर मुलैठी को चिंगम जैसे चबाने को देती थी आंगन की तुलसीपत्तों का काढ़ा बुखार में खांसने पर मुलैठी को चिंगम जैसे चबाने को देती थी आंगन की तुलसीपत्तों का काढ़ा ब...
सत्ता की इस धुंध में देश कहीं खो ना जाए, सत्ता की इस धुंध में देश कहीं खो ना जाए,
बस , बहुत हो गया , अब नहीं लिखते रहेंगे ! नहीं अपनी कलम से। बस , बहुत हो गया , अब नहीं लिखते रहेंगे ! नहीं अपनी कलम से।
बोले मुझ से दूर हट यहाँ से, लगता है तेरा मुख जैसे ‘नर’। बोले मुझ से दूर हट यहाँ से, लगता है तेरा मुख जैसे ‘नर’।
कौन हैं वो आत्मघाती जो इतनी हिम्मत करते हैं। कौन हैं वो आत्मघाती जो इतनी हिम्मत करते हैं।
हम कितने नादान है, जिनसे घर हुए श्मशान है, उन्हीं दोगले लोगों को बता रहे मित्र, ज़माने हम कितने नादान है, जिनसे घर हुए श्मशान है, उन्हीं दोगले लोगों को बता रहे मित्र,...
शायद मेरे गुनाहों की सजा है, आज पटरियों पर अकेली है।। शायद मेरे गुनाहों की सजा है, आज पटरियों पर अकेली है।।
मां....... मां........ तू सुन रही है ना मां? यहां वहां मत ढूंढ मुझे। मां....... मां........ तू सुन रही है ना मां? यहां वहां मत ढूंढ मुझे।
कभी आसमान से बिजली के रूप में आतंकवादियों की तरह टूट पड़ती है कभी आसमान से बिजली के रूप में आतंकवादियों की तरह टूट पड़ती है
ठाना था तभी मन में तुम्ही हो मेरी जीवन संगिनी ठाना था तभी मन में तुम्ही हो मेरी जीवन संगिनी
हाय कृषक जूझ रहा,कृषि के मैदानों में, फसलों की स्पर्धा खरपतवार, जल, सूर्य ऊर्जा से ले. हाय कृषक जूझ रहा,कृषि के मैदानों में, फसलों की स्पर्धा खरपतवार, जल, सूर्य ऊर्...
ऐसी पूजा के बाद कुछ छोड़ कर दुनिया का मोह कूद जातीं हैं घरों की छतों से, चलती रेलों से ऐसी पूजा के बाद कुछ छोड़ कर दुनिया का मोह कूद जातीं हैं घरों की छतों से, चलती...
हम तो भूखे हैं भोजन की तलाश और चाहते हैं क्या….? हमको खाना और कमाना है. हम तो भूखे हैं भोजन की तलाश और चाहते हैं क्या….? हमको खाना और कमाना है.
घर छोड़ा तो ज़िंदगी ने मुसाफिर बना दिया अपनी ही ज़मीन पर अपनों ने काफिर बना दिया। घर छोड़ा तो ज़िंदगी ने मुसाफिर बना दिया अपनी ही ज़मीन पर अपनों ने काफिर बना दिया...
तुम गये कहाँ, तुम कहाँ गये, हो दूर मेरी तनहाई से ।। तुम गये कहाँ, तुम कहाँ गये, हो दूर मेरी तनहाई से ।।