Saurabh Mishra
Tragedy
क्या करूँ तेरा ख्याल भी नहीं कर सकता मैं
वरना उस आँख में मेरे लिए क्या कुछ न था।
ये भी सच है कि उसने कभी कुछ कहा नहीं
ये भी सच है कि उससे कुछ छुपा न था।
राज
इज़हार
अंतिम प्रणाम है, आपको, अब जा रही हूँ मैं।। अंतिम प्रणाम है, आपको, अब जा रही हूँ मैं।।
मैं मजबूरी की लाश को ढोते आया हूं- क्योंकि बिकते हुए बाजार में अपना जमीर बेच नही पाया। मैं मजबूरी की लाश को ढोते आया हूं- क्योंकि बिकते हुए बाजार में अपना जमीर बेच ...
चेहरो के इस जंगल मे नकाब वाले चेहरे हैं। चेहरो के इस जंगल मे नकाब वाले चेहरे हैं।
किसी की आंख पर पर्दा पड़ा रहे और वह पर्दा युग युगों तक हटे ही नहीं फिर तो किसी की आंख पर पर्दा पड़ा रहे और वह पर्दा युग युगों तक हटे ही नहीं फ...
मार गिराई जालिमों ने मैं चंद उम्र की बेटी थी! मार गिराई जालिमों ने मैं चंद उम्र की बेटी थी!
पांच प्रतिशत लगा,वस्तु सेवा कर दैनिक जीवन खाद्य वस्तुओं पर। ... पांच प्रतिशत लगा,वस्तु सेवा कर दैनिक जीवन खाद्य वस्तुओं पर। ...
मेरी छोटी सी गलती पर तुम्हारा मुंह फूला लेना मनाने आने से पहले ही बच्चों को बुला ले मेरी छोटी सी गलती पर तुम्हारा मुंह फूला लेना मनाने आने से पहले ही बच्चों को...
तुम्हारी हर एक ज़िद मैंने स्वीकार की है मगर एक ज़िन्दगी इस ज़िन्दगी से पार भी है तुम्हारी हर एक ज़िद मैंने स्वीकार की है मगर एक ज़िन्दगी इस ज़िन्दगी से पार भी है
भ्रष्टाचार हटाना है तो दृढ़ संकल्प अपनाना होगा l भ्रष्टाचार हटाना है तो दृढ़ संकल्प अपनाना होगा l
अश्क नही थमते,सांसे थम रहीं है, मेरी ज़िंदगी तो देखो ,जैसे रुक रही है। अश्क नही थमते,सांसे थम रहीं है, मेरी ज़िंदगी तो देखो ,जैसे रुक रही है।
दिन रात मेहनत कर कमाता वो पिता है पाई पाई जोड़ कर जेवर है बनवाता। दिन रात मेहनत कर कमाता वो पिता है पाई पाई जोड़ कर जेवर है बनवाता।
खाते हो जो मृत्युभोज उसके घर पर तुम सब, कैसे मरा-क्या हालात में मरा पीछे क्या छोड़ गया। खाते हो जो मृत्युभोज उसके घर पर तुम सब, कैसे मरा-क्या हालात में मरा पीछे क्या...
कितनी भी चेष्टा कर लो पूरे मनोयोग से किसी की सेवा कर लो कितनी भी चेष्टा कर लो पूरे मनोयोग से किसी की सेवा कर लो
फिर भी वो लोक-लज्जा से चुप चाप लाचार रही वो भूल गई स्वयं पर हुई हिंसा को फिर भी वो लोक-लज्जा से चुप चाप लाचार रही वो भूल गई स्वयं पर हुई हिंसा को
हां सच मे ही... मैंने मौत को बहुत पास देखा, मैंने माँ को मरते हुए देखा। हां सच मे ही... मैंने मौत को बहुत पास देखा, मैंने माँ को मरते हुए देखा।
बेटी की पथराई आंखों में दर्द भी बिलख रहा बेटी की पथराई आंखों में दर्द भी बिलख रहा
कहीं कोई विरहन साजन की याद में, व्याकुल हो विरह के गीत गा रही थी, कहीं कोई विरहन साजन की याद में, व्याकुल हो विरह के गीत गा रही थी,
उनकी तरफ एक उम्मीद भरी नजरों से ताकते रहना कि वह उठकर हर समस्या का समाधान कर देंगे उनकी तरफ एक उम्मीद भरी नजरों से ताकते रहना कि वह उठकर हर समस्या का सम...
मैं निर्मल जल बहता चुपचाप सा पर मेरी व्यथा समझ न सका कोई। मैं निर्मल जल बहता चुपचाप सा पर मेरी व्यथा समझ न सका कोई।
फतेहगंजपूर्वी माफियाओं का बना अड्डा है, कच्ची शराब जब जान लेती है, फतेहगंजपूर्वी माफियाओं का बना अड्डा है, कच्ची शराब जब जान लेती है,