ईश्वर की आवाज
ईश्वर की आवाज
जो आया मेरे दर पर
बस कुछ न कुछ मांगने आया।
पर कभी मांगा न मुझे
न मांगा मेरा प्रेम तत्व मुझसे।
बस हताश रहा
मुक्ति के लिए,
और परेशान रहा
अपनी इच्छाओं के लिए।
बस ढूंढता रहा
लोगों में कमियां,
न तलाशा की
उनकी आत्मा में
मेरी अभिव्यक्ति।
अपनी घर की चारदीवारी की तरह
मुझे भी बांटता रहा,
कभी मंदिर,कभी मस्जिद
कभी गिरजाघर के रूप में।
