STORYMIRROR

Priti Khandelwal

Inspirational

2  

Priti Khandelwal

Inspirational

हुनर

हुनर

1 min
41

हुनर किसी की दया का मोहताज नहीं

ना ही रोके किसी के रुकता है ,

शरीर की रक्त शिराओं की तरह

यह तो रोम रोम में बसता है।

छिपाने से छिपता नहीं है

ना मिटाने से मिटता हैं

किसी नाम की जरूरत नहीं 

अपने आप उजागर होता है

जरूरत है बस सही समय की

और खुद का हुनर पहचानने की

किसी तालीम की जरूरत नहीं

वक़्त के साथ निखरता है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational