बचपन
बचपन
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बहुत याद आते हैं मुझको वो पल
जब खेला करते थे हम जी भर।
तब हमारी गलतियों पर भी मां हंस जाया करती थी
गोदी में लेकर हमे दुलारा करती थी
वो बात बात पर हमारा रूठ जाना
और सबका हमको मनुहार करके मनाना।
वो कागज़ की कश्ती......,वो मिट्टी के खिलौने
वो बड़ा सा आंगन और उस पर वो बिछौने
वो हमारा छिपना छिपाना
वो बचपन का सब रूठना मनाना
बहुत याद आते हैं मुझको वो पल
जब खेला करते थे हम जी भर ।
वो तितलियों को पकड़ना
वो पेड़ की डालियों पर लटकना।
वो झूठे मूठे बहाने बनाकर
दोस्तो के संग थोड़ा और मस्ती करना।
बहुत याद आते है वो बचपन के दिन।
